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Showing posts from May, 2021

Success story

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  मां   के साथ गलियों में घूम कर बेचते थे चूड़ियां , गरीबी को हराकर IAS बने थे रमेश घोलप                                  साल 2005 में जब वो बारहवीं की परीक्षा दे रहे थे उसी समय  उनके पिता का  निधन हो गया था।  रमेश घोलप के चूड़ियाँ बेचने से लेकर IAS बनने तक का सफर बेहद ही प्रेरणादायक है। इनका जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के बरसी तालुका के महागांव में हुआ था। रमेश घोलप के पिता गोरख घोलप साईकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाते थे। 4 सदस्यों के इस परिवार का पालन - पोषण बड़े ही मुश्किल से चलता था। हालाँकि कुछ दिनों बाद उनके पिता की तबियत ख़राब हो गयी और व्यापार में भारी नुकसान होने लगा।  इसके बाद रमेश घोलप की मां विमल घोलप ने नजदीकी गाँव में जाकर चूड़ियां बेचनी शुरू कर  दी।  इन्ही दिनों रमेश के बांयें पैर को पोलिया हो गया था। रमेश और उनके भाई अपनी माँ के साथ चूड़ियां बेचने जाया  करते थे। महागांव  एक ही प्राथमिक विद्यालय था। बाद में रमेश आगे की पढाई करने के लिए  चाचा के साथ बरसी चले गए।  साल 2005 में जब वह बारहवीं क्लास की परीक्षा दे रहे थे उसी समय उन्हें उनके पिता के निधन की खबर मिली थी। इसके बावजूद

Handicapped Girl Success Story

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                          हरियाणा के एक छोटी से गाँव में जन्मी पिछड़ी जाती के किसान की बेटी '  क्रान्ति  ' को दो वर्ष की उम्र में ही पोलियो हो गया था। एक पैर से लंगड़ाकर चलने वाली और गाँव के साधारण स्कूल से पढ़ने वाली पिछड़ी जाती की लड़की अपने जीवन में ऐसी शानदार उपलब्धि प्राप्त कर सकती है , किसी ने ऐसी कल्पना सपने में भी नहीं की थी।  क्रान्ति की विजय गाथा में सबसे अनूठी बात यह भी है की वह कभी कॉलेज भी नहीं गयी। स्कूल के बाद की पढाई उसने 'पत्राचार माध्यम ' से की।  लोगों द्वारा कई प्रकार के व्यंग्य बाणों से त्रस्त क्रान्ति  की भावना उसी के शब्दों में ,...           " I never let that talk affect me.                  If I would have felt           I'm handicapped or disadvantage,                  I would have lost the battle. "

Try, try and try again...

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      असफलता इंसान की जिंदगी का अंत नहीं होती बल्कि असफलता ही सफलता के नए दरवाजे खोलती है। असफल होकर इंसान सफलता की तरफ एक कदम और बढ़ाता है।   कहते  हैं -   "कोशिश करने वालों  की कभी हार नहीं होती"        यह साबित कर दिखाया IAS में 156वीं रैंक हांसिल करने वाले जय गणेश ने।  6 बार असफल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारने वाले पूर्ण संकल्प के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु द्रढ़ता से जुटे रहने वाले जय गणेश , वस्तुतः उन लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत है , जो एक बार असफल होने पर हो निराश होकर अपनी राह बदल लेते हैं।             "QUITTERS NEVER WIN & WINNERS NEVER QUIT."    विल्लोर जिले के छोटे से गाँव में जय गणेश का जन्म एक गरीब परिवार में है था। घर में उसकी दो छोटी बहनें एवं एक भाई था तथा पिता क आय मात्र RS. 4500 थी। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। दसवीं पास करने के बाद जय गणेश ने पॉलीटेक्निक कॉलेज में केवल इसलिए प्रवेश लिया की पॉलीटेक्निक डिप्लोमा के बाद उस समय तुरंत नौकरी मिल जाती थी। वहाँ 91% अंक प्राप्त करने से उसे गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में मेरिट के आधार पर प्रवेश

IAS TOPPER

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 ओडिशा के बालासोर जिले के निवासी विजय केतन ने UPSC परीक्षा में 5वां स्थान प्राप्त कर  न केवल अपने राज्य बल्कि अपने जिले का भी नाम रोशन कर अपने चिर संचित सपने को पूरा किया है।        तीसरी बार में मिली सफलता के लिए विजय केतन , पूर्ण निष्ठा एवं लगन से किये गए कठिन परिश्रम एवं धैर्य के साथ लगातार किये गए प्रयास को महत्वपूर्ण मानते है।  दो बार असफल होने के बाद भी वे अपने लक्ष्य संधान यानि लक्ष्य को प्राप्त करने में डटे रहे और उन्होंने अंततः उसे प्राप्त करके ही दम लिया।                             "  Despite two unsuccessful attemots,                      I never lost patience , rather my      determination became stronger and stronger.                  This is , I felt , the key to my success." स्नातक के बाद IAS बनने का लक्ष्य तय करके वे लग गए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में और अंततः अपने दृढ़ निश्चय के बल पर उन्हें सफलता मिली। 

The Blind IAS Officer

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किसान का बेटा , अम्बेडकर नगर जिले का निवासी , आँखों से लाचार 27 वर्षीय कृष्णा ने वर्ष 2008 के IAS में 142वीं रैंक प्राप्त कर , एक अनूठा रिकॉर्ड रच दिया। तीसरी बार में मिली यह सफलता स्वंय में एक अद्वितीय संघर्ष , अदम्य आत्मविश्वास एवं अटूट द्रढ़ निश्चय की गाथा है। IAS की परीक्षा हेतु   अर्थशास्त्र विषय का चुनाव करने के बाद , कृष्णा ने आँखों से लाचार होने के कारण लिखने हेतु दो सहायकों की सहायता ली , लेकिन अर्थशास्त्र विषय में चित्र कैसे बनाये जाएँ , इस समस्या तार (wire) की सहायता से बताया , जिसे उनके लेखन के सहायकों ने कॉपी में बनाया।  गरीबी के कारण , वे न तो किसी कोचिंग की सहायता ले सके , और न मित्रों से कोई ख़ास मदद मिली। जो कुछ पढ़ा , स्वयं की कड़ी मेहनत एवं लगातार परिश्रम का ही परिणाम रहा।  Remember   छात्र - जीवन एक तपश्चर्या का समय है , जिसमें आपको बहुत संयमित होकर , अपनी मौज मस्ती को त्याग कर , कड़ी मेहनत एवं लगन से , पूर्ण सकल्पित होकर , अपनी बहुत सी इच्छाओं को नियंत्रित करते हुए , जीवन में सफल होना है। ऐसी सफलता एक स्थायी सफलता है। तप का फल मीठा ही होगा।